रवींद्र रंजन जी भगद्ड् टीम आपके लिये सम्मान रखती है

Friday, September 28, 2007

रवींद्र रंजन जी भगदड् टीम ने जो आपको मानसिक क्षति पहुँचाने का जो कार्य किया है उसके लिये हम माफ़ी चाहते है लेकिन इसका तात्पर्य ये नहीं है कि आप इसे अन्यथा लें लें क्योंकि जो जाने-अनजाने में आपसे भूल यां ये कहिये संयोगवश हुआ है वो हर-एक के साथ नहीं होता है और ना ही होगा क्योंकि एसा पहले भी हो चुका है रचनासिंह जी और आलोक पुराणिक जी के लेख हूबहू चोरी करके लिख दिये गये थे तब भगडड् टीम पंजीक्रत नहीं थी वरना स्थिति कुछ और होती!

अब मान लीजिये आपने कोई अति महत्वाकांक्षी लेख लिखा जिसके लिये आपको राष्ट्रीय पुरूस्कार भी मिले यां फ़िर ये प्रकाशित होकर किसी अखबार की शान बढाये तब उसके बाद किसी ने इसे ब्लॉग यां अन्य किसी माध्यम से कहीं अन्यत्र प्रकाशित कर दिया तो आप क्या कहेंगें?

हमारा मकसद पहले भी हम कह चुके है कि विवादों को सही रूप में एक सार्थक हल बनाना है जिससे आने वाले चिट्ठाकारों को प्रोत्साहन मिले।

आज अगर जीतू जी हमसे पहले आपको इस बारे में सार्वजनिक रूप से कहते तो शायद आपको और भी ज्यादा बुरा लग सकता था लेकिन हमारा प्रयास आपका दिल दुखाना नहीं था।

रही बात हमारी मानसिकता और भाषा की तो आपको बता दिया जाये कि भगदड् आप लोगों के द्वारा ही बनाया गया है, अपने लोगों के लिये हम यां किसी भी साथी के लिये हम अभद्र भाषा और ओछी मानसिकता नहीं पाल सकते हैं।

आशा है कि आप अपनी गलतफ़हमी दूर करेंगे

लिखते रहिये आप का लिखा सबकी नजर में है आप किसी के लिये बुरे नही हैं।

टीम भगदड्

1 comment:

Unknown said...

शुक्रिया। मैं खुद आश्चर्य में हूं कि दोनों रचनाओं में भैंस का नाम एक कैसे हो गया। यकीन मानिये यह महज संयोग है। क्योंकि कितना भी अनाड़ी चोर होगा वह कम से कम पात्रों के नाम तो बदल ही देगा। इसके बावजूद अगर किसी को मेरी ईमानदारी पर शक है तो इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता। पाठक खुद समझदार हैं।