रवींद्र रंजन जी कुछ तो मौलिकता दीजिये

Friday, September 28, 2007

"आपरेशन सुंदरी--लाइव फ्राम झंडूपुरा
मैं हूं अर्चना। ब्रेक के बाद हमारे चैनल में एक बार फिर आपका स्वागत है। अब हम फिर चलते हैं अपने विशेष संवाददाता आकाश के पास। आकाश सुबह से ही मुजफ्फरनगर के झंडूपुरा गांव में मौजूद हैं। जैसा कि आपको मालूम होगा वहां विदेशी नस्ल की एक भैंस तड़के एक गड्ढे में गिर गई थी। इस खबर को सबसे पहले ब्रेक किया था हमारे संवाददाता आकाश ने। आकाश सुबह से ही हमें वहां के हालात से रूबरू करा रहे हैं। तो आइये अब आकाश से ही पूछते हैं कि क्या माहौल है झंडूपुरा का। जी, आकाश बताइये...आठ घंटे पहले जो भैंस गड्ढे में गिरी थी अब उसकी हालत कैसी है?
"

आज आशियाना नामक ब्लॉग पर रवींद्र रंजन जी ने एक हास्य कहानी लिखी है जो एकदम से कॉपी है जीतू जी की "बुनो कहानी" कॉलम के " से , इस कहानी की ओरीजिनल क्रति यहाँ पर है जो शायद उन्होने यहाँ से कहानी में फ़ेरबदल करते हुये उठायी है, काफ़ी अच्छा प्रयास है और हमारे समीर भाई ने तो बिना देखे टिप्पणी भी कर दी है. उनको शायद कोई जानकारी नहीं होगी कोई बात नहीं लेकिन रवींद्र रंजन जी ये भूल गये हैं कि भगदड् वालों की नजर पैनी भी है और टेडी भी है।

अब हम समझते है कि आगे से ये भाई साहब फ़िर कभी उधार के लेख से अपना काम नहीं चलायेंगें

2 comments:

Udan Tashtari said...

इतनी टिप्पणियों के बीच यह याद रखना कि यह पहले कहीं छप चुका है, एक नामुमकिन सा काम है. तब यह तारीफ जीतू के लिये मान ली जाये. :)

आपकी नजर वाकई पैनी है, बनाये रखें. इस तरह की सूचना का इमेल करवाने का प्रबंध कर दें तो बच जाऊँ. हा हा!!!

Unknown said...

मेरी रचना आपरेशन सुंदरी-लाइव फ्रॉम झंडूपुरा के संबंध में आपकी अमुक टिप्पणी पढ़कर सचमुच बेहद अफसोस हुआ। ईमानदारी से मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि मैंने आज से पहले बुनो कहानी वाली रचना नहीं पढ़ी थी। अच्छा हुआ कि आपने उसका लिंक दे दिया। मैंने उसे पढ़ा। आपका शुक्रिया। मेरी रचना को पढ़कर हर उस व्यक्ति को ऐसा लग सकता है कि मेरा आयडिया मौलिक नहीं है। लेकिन मैं फिर कहना चाहूंगा कि यह महज एक संयोग है। इसलिये भी कि यह मेरी लिये कोई कहानी नहीं है। मैं खुद एक खबरिया चैनल में हूं इसलिये इस तरह की बातें, इस तरह की चर्चा किसी भी चैनल में आम है। हम जिस माहौल में रहते हैं जिस वातावरण में काम करते हैं हमारा लेखन भी उसी से प्रभावित होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि चैनल की नौकरी ऐसी होती है कि आपको पढने का ज्यादा वक्त ही नहीं मिलता। और पढ़ने के बाद कोई मूर्ख ही उसी बात को दोबारा लिखना पसंद करेगा। मैं फिर आपकी गलतफहमी दूर करने के लिये कहना चाहूंगा कि यह मेरी लिये कहानी नहीं है। यह चैनल के लिये बहुत सामान्य सी बात है। इसलिये मैं इसे व्यंग्यात्मक शैली में बड़ी आसानी से लिखता गया। न ही मुझे कोई कहानी बुननी पड़ी और न ही कोई कल्पना करनी पड़ी। मै कोई सफाई पेश नहीं करना चाहता लेकिन मुझे इस बात का बेहद अफसोस है कि भगदड़ टीम ने बिना मेरा पक्ष सुने मुझ पर बेहद घटिया आरोप लगा दिया। अंत में मैं सिर्फ एक बात कहना चाहूंगा कि मैं जबरदस्ती नहीं लिखता। कोई चीज जब लिखने को मजबूर कर देती है तभी मैं लिखता हूं। इसलिये कहानी बुनना या फिर किसी के आयडिये को कापी करना मैं बेहद शर्मनाक मानता हूं। और क्या कहूं मुझे खुद समझ में नहीं आ रहा है। लेकिन भगदड़ टीम के इस आरोप ने मुझे सचमुच काफी दुख पहुंचाया है। बस नेट पर मौजूद लोगों से एक ही अनुरोध है कि बिना जाने-समझे किसी पर कोई आरोप न लगायें। इंटरनेट एक अथाह सागर की तरह है। यह जरूरी नहीं कि हर किसी ने हरेक सामग्री का अध्ययन किया हो। अब औऱ क्या कहूं...शब्द नहीं मिल रहे हैं। बस यही सोच रहा हूं कि आपके इस आरोप की वजह से मेरे बाकी मित्र मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे।