रवींद्र रंजन जी भगदड् टीम ने जो आपको मानसिक क्षति पहुँचाने का जो कार्य किया है उसके लिये हम माफ़ी चाहते है लेकिन इसका तात्पर्य ये नहीं है कि आप इसे अन्यथा लें लें क्योंकि जो जाने-अनजाने में आपसे भूल यां ये कहिये संयोगवश हुआ है वो हर-एक के साथ नहीं होता है और ना ही होगा क्योंकि एसा पहले भी हो चुका है रचनासिंह जी और आलोक पुराणिक जी के लेख हूबहू चोरी करके लिख दिये गये थे तब भगडड् टीम पंजीक्रत नहीं थी वरना स्थिति कुछ और होती!
अब मान लीजिये आपने कोई अति महत्वाकांक्षी लेख लिखा जिसके लिये आपको राष्ट्रीय पुरूस्कार भी मिले यां फ़िर ये प्रकाशित होकर किसी अखबार की शान बढाये तब उसके बाद किसी ने इसे ब्लॉग यां अन्य किसी माध्यम से कहीं अन्यत्र प्रकाशित कर दिया तो आप क्या कहेंगें?
हमारा मकसद पहले भी हम कह चुके है कि विवादों को सही रूप में एक सार्थक हल बनाना है जिससे आने वाले चिट्ठाकारों को प्रोत्साहन मिले।
आज अगर जीतू जी हमसे पहले आपको इस बारे में सार्वजनिक रूप से कहते तो शायद आपको और भी ज्यादा बुरा लग सकता था लेकिन हमारा प्रयास आपका दिल दुखाना नहीं था।
रही बात हमारी मानसिकता और भाषा की तो आपको बता दिया जाये कि भगदड् आप लोगों के द्वारा ही बनाया गया है, अपने लोगों के लिये हम यां किसी भी साथी के लिये हम अभद्र भाषा और ओछी मानसिकता नहीं पाल सकते हैं।
आशा है कि आप अपनी गलतफ़हमी दूर करेंगे
लिखते रहिये आप का लिखा सबकी नजर में है आप किसी के लिये बुरे नही हैं।
टीम भगदड्
रवींद्र रंजन जी भगद्ड् टीम आपके लिये सम्मान रखती है
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टीम भगदड़
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11:31 PM
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रवींद्र रंजन जी कुछ तो मौलिकता दीजिये
"आपरेशन सुंदरी--लाइव फ्राम झंडूपुरा
मैं हूं अर्चना। ब्रेक के बाद हमारे चैनल में एक बार फिर आपका स्वागत है। अब हम फिर चलते हैं अपने विशेष संवाददाता आकाश के पास। आकाश सुबह से ही मुजफ्फरनगर के झंडूपुरा गांव में मौजूद हैं। जैसा कि आपको मालूम होगा वहां विदेशी नस्ल की एक भैंस तड़के एक गड्ढे में गिर गई थी। इस खबर को सबसे पहले ब्रेक किया था हमारे संवाददाता आकाश ने। आकाश सुबह से ही हमें वहां के हालात से रूबरू करा रहे हैं। तो आइये अब आकाश से ही पूछते हैं कि क्या माहौल है झंडूपुरा का। जी, आकाश बताइये...आठ घंटे पहले जो भैंस गड्ढे में गिरी थी अब उसकी हालत कैसी है? "
आज आशियाना नामक ब्लॉग पर रवींद्र रंजन जी ने एक हास्य कहानी लिखी है जो एकदम से कॉपी है जीतू जी की "बुनो कहानी" कॉलम के " से , इस कहानी की ओरीजिनल क्रति यहाँ पर है जो शायद उन्होने यहाँ से कहानी में फ़ेरबदल करते हुये उठायी है, काफ़ी अच्छा प्रयास है और हमारे समीर भाई ने तो बिना देखे टिप्पणी भी कर दी है. उनको शायद कोई जानकारी नहीं होगी कोई बात नहीं लेकिन रवींद्र रंजन जी ये भूल गये हैं कि भगदड् वालों की नजर पैनी भी है और टेडी भी है।
अब हम समझते है कि आगे से ये भाई साहब फ़िर कभी उधार के लेख से अपना काम नहीं चलायेंगें
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टीम भगदड़
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1:13 AM
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नकली जीत के नकली हीरो
भारत 20-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप जीत चुका है पर शायद ये किसी ने नहीं सोचा कि क्या ये ही असली क्रिकेट है?
नहीं! ये क्रिकेट नहीं हो सकता है, ये केवल एक पैसा कमाने का नया जरिया है जिसे बी.सी.सी.आई और आई.सी.सी. ने अच्छी तरह से भुनाया है. पूरे 140 करोड तो केवल ई.एस.पी.एन.-स्टार नें कमाये हैं और इन्होनें इनसे कहीं गुना अधिक.
और इस जीत के जश्न में कपिल देव जैसे खिलाडियों को भुला दिया गया क्यों?
पिछले दिनो जब आई.सी.एल. ने क्रिकेट लीग बनाई तो इन दोनों लीग की बाँछें खिल गयी थी, क्योंकि एक स्वस्थ प्रतिद्वन्दी जो मिल रहा था,तुरंत ही इस लीग के साथ कई क्रिकेटर जुडे जो इनके लिये अप्रत्याशित था, आनन-फ़ानन में आई.पी.एल. की भी घोषणा कर दी गयी.
अब शुरू करते हैं असली मुद्दाः कपिल देव ने जब आई.सी.एल. ज्वाइन की तो लगा कि देश में नयी-नयी प्रतिभाओं को मौका मिलेगा पर एन मौके पर बी.सी.सी.आई. ने बीच में अपनी टांग इसलिये अडाई की उसकी दुकानदारी में हिस्सेदार आ गया था, उसे इस बात से मतलब नहीं की देश में खेल और स्टेडियम यां संसाधनों की कमी है उसे इसबात से मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा कम समय में पैसा कैसे कमाया जाये!
आज बी.सी.सी.आई कुबेर के खजाने की हैसियत रखता है अगर वो चाहे तो देश भर में स्टेडियमों की बाढ् ला सकता है लेकिन वो क्यों चाहे?
अभी-अभी खबर आयी है कि नाराज हाकी के पदाधिकारी और टीम भूख हड्ताल पर बैठने वाली है. क्या ये लोग देश सेवा नहीं करते?
यां क्रिकेट ही देश के नौनिहालों के भविष्य का खेल है! क्यों?
जब ओलम्पिक की बारी आते है तो क्यों हमारे खेल मन्त्रियों के हाथ पाँव फ़ूल जाते हैं?
स्वर्ण तो छोडिये कांस्य पदक जीतने के लिये जो जद्दोजहद होती वो सारी दुनिया के आगे अपनी फ़जीहत ही तो है और क्या है.
क्या सरकार को इस तरफ़ ध्यान नहीं देना चाहिये कि अगर क्रिकेट से आमदनी होती है तो फ़र्ज बनता है कि उस धन को सभी खेलों और खिलाडियों के विकास में लगाया जाये.
लेकिन ये इस महान भारत देश में सम्भव नहीं है.
बस टी.वी.चैनल पर "सुनो गौर से दुनियां वालो..." सुनते रहो
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kamlesh madaan
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6:24 PM
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भगदड् टीम की ओर से सभी चिट्ठाकारों को प्रणाम!
आज से हमारी भगदड् टीम भी नारद से जुड् चुकी है जिससे हम लोगों को एक सार्थक दिशा मिल चुकी है, ये टीम आगे क्या-क्या गुल खिलायेगी इसका खुलासा जल्द ही सभी लोगों के सामने हो जायेगा, लेकिन हमारी टीम सार्थक विषयों पर बहस भी कर सकती है तो हिन्दी और चिट्ठाकारों का अपमान करने वालों के दाँत खट्टे भी करने का माद्दा रखती है
तो अब चिट्ठाकारों सावधान! भगदड् टीम की पैनी नजर से बचना नामुमकिन है लेकिन आपके अच्छे काम के लिये आपको उत्साहित करने से नहीं चूकेगी ये टीम।
इस टीम के सदस्य उन्हें ही चुना जाता है जो केवल अपनी बात को कहने के लिये जाने जाते है यां फ़िर हिन्दी सेवा का लक्ष्य उन्होने निर्धारित किया है।ये उन चिट्ठाकारों को भी समर्पित है जिनका हिन्दी सेवा में विशेष योगदान रहा है.
हम उन ब्लॉगरों की तरह नहीं हैं जो अपना मंच बनाकर दूसरों से अलग दिखने की कोशिश करते है और जो खुद को हिन्दी का स्वयंसेवी मानते हैं, लेकिन विवादों को जन्म देना इनका मुख्य काम रहा है, अश्लील लेखन करके खुद की भडास निकालकर खुद को ये तुर्रम खाँ समझ बैठे है और समझ रहे हैं कि हमी लोग इस देश और हिन्दी लेखन को चला रहे हैं।
ये उनकी भूल है!
कुछ चन्द रूपयों की खातिर अपना इमान और पहचान खोकर, सिगरेट और शराब के लेखन से अपनी पहचान बनाते ये लेखक हिन्दी की सेवा नहीं अपना खुद का उपहास उडा रहे हैं.धन्यवाद की पात्र है नारद की टीम जिन्होने इन लोगों के नापाक इरादों पर अन्कुश लगा रखा है.
बस! इतना ही
टीम भगदड्
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टीम भगदड़
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5:14 PM
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